शरद पूर्णिमा 2024 क्यों  है खास :मां लक्ष्मी की होती है पूजा

माता लक्ष्‍मी का प्राकट्य  व् मां लक्ष्‍मी की जयंती के रूप में मनाया जाता है यह दिन

कोजागरी पूर्णिमा और कौमुदी व्रत भी कहते हैं।

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चंद्रमा भी  करते हैं अमृत की वर्षा-रात भर चांद की रोशनी में खीर रखी जाती है

पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को रात 08 बजकर 40 मिनट पर प्रारंभ होगी और 17 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 55 मिनट तक रहेगी

शरद पूर्णिमा  जब कृष्ण और ब्रज की गोपियों के बीच महा रासलीला  की  थी  कृष्ण ने ऐसा रास रचाया कि शिव भी स्वंय को रोक नहीं पाए और दिव्य नृत्य देखने के लिए गोपी का रूप धकर वहां पहुंच गए.