दिवाली के पांच दिन:
दिवाली के पांच दिन( What are The Five Days of Diwali):दीवाली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों मे से एक है. जो पूरे देश में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके साथ ही धन के देवता कुबेर देव की भी उपासना की जाती है। धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से आय, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।दिवाली के दिन, लोग अपने घरों को पारंपरिक दीयों (तेल से भरे छोटे मिट्टी के दीपक), रंगोली और टिमटिमाती रोशनी से सजाते हैं। उत्सव पांच दिनों तक चलता है। दीवाली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों मे से एक है. जो पूरे देश में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके साथ ही धन के देवता कुबेर देव की भी उपासना की जाती है। धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से आय, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।दिवाली के दिन, लोग अपने घरों को पारंपरिक दीयों (तेल से भरे छोटे मिट्टी के दीपक), रंगोली और टिमटिमाती रोशनी से सजाते हैं।
दिवाली के पांच दिन मे धनतेरस, नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज
शामिल हैं. प्रत्येक दिन का एक विशेष महत्व होता है और इसे अनुष्ठानों के अनुसार मनाया जाता है
– Dhanteras – October 29
– Choti Diwali (Narak Chaturdashi) – October 30
– Diwali and Lakshmi Puja – October 31
– Govardhan Puja – November 2
– Bhai Dooj – November 3
धनतेरस
धनतेरसhttps://saralnewsroom.com/web-stories/dhanteras-2024/ दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में पांच दिवसीय दिवाली त्योहार का पहला दिन है। यह हिंदू महीने कार्तिका में कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के घटते चरण) के 13वें दिन पड़ता है। इस दिन, लोग चिकित्सा के देवता भगवान धन्वंतरि और धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
यह सोना, चांदी या अन्य मूल्यवान वस्तुएं खरीदने के लिए एक शुभ दिन माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह घर में धन और सौभाग्य लाता है। लोग देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और भगवान कुबेर की मूर्तियाँ खरीदते हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। लोग सोने के सिक्के, सोने की छड़ें या सोने के आभूषण सहित नई वस्तुएं भी खरीदते हैं।दीपावली का पर्व 5 दिनों का होता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और भाई दूज को समापन होता है। धनतेरस का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। धनतेरस के दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक भगवान धन्वंतरि के साथ माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा अर्चना की जाती है और इस त्योहार के अगले दिन छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान धन्वंतरि की पूजा उपासना करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति ऊर्जावान रहता है। धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा । विष्णु प्रिया माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है।
धन्वंतरि जब समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे, उनके हाथ में अमृत कलश होने की वजह से इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है।
मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदारी करने से धन में 13 गुणा वृद्धि होती है।धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला धन और दूसरा तेरस, जिसका अर्थ है कि धन का तेरह गुणा।
कब है धनतेरस 2024 का पर्व?https://www.drikpanchang.com/diwali/diwali-puja-calendar.html
धनतेरस का पर्व दिन मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।
त्रयोदशी तिथि – 29 अक्टूबर, सुबह 10 बजकर 31 मिनट से 30 अक्टूबर, दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त
29 अक्टूबर को गोधूलि काल शाम 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस की पूजा के लिए 1 घंटा 42 मिनट का समय मिलेगा।
धनतेरस खरीदारी का शुभ मुहूर्त
पहला खरीदारी का मुहूर्त – धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है, इस योग में खरीदारी करना बहुत शुभ रहेगा। यह योग सुबह 6 बजकर 31 मिनट से अगले दिन तक 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा । इस योग में की गई खरीदारी करने से चीजों में तीन गुणा वृद्धि होती है।
दूसरा खरीदारी का मुहूर्त – धनतेरस के दिन अभिजीत मुहूर्त बन रहा है और इस योग में खरीदारी करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।29 अक्टूबर के दिन 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट के बीच खरीदारी करें।
तीसरा शुभ मुहूर्त -प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त रहता है जो संध्या 6 बजकर 36 मिनट से लेकर रात्रि 08 बजकर 32 मिनट तक रहने वाला है. तीनों में यह मुहूर्त सबसे उत्तम और शुभ रहता है. शुभ मुहूर्त में खरीददारी करना है बेहद शुभकारी माना जाता है.
छोटी दिवाली(Narak Chaturdashi) – October 30
दूसरे दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। यह राक्षस नरकासुर के विरुद्ध भगवान कृष्ण की विजय का सम्मान करता है।छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है, मुख्य दिवाली त्योहार से एक दिन पहले मनाई जाती है। यह हिंदू महीने कार्तिका में कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के घटते चरण) के 14वें दिन पड़ता है।
यह दिन राक्षस नरकासुर पर भगवान कृष्ण की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन कृष्ण ने नरकासुर द्वारा बंदी बनाई गई 16,000 महिलाओं को मुक्त कराया था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। बहुत से लोग उत्सव के हिस्से के रूप में दीपक जलाते हैं और पटाखे फोड़ते हैं, हालांकि मुख्य दिवाली के दिन की तुलना में इसका पैमाना आम तौर पर छोटा होता है।
बड़ी दिवाली और लक्ष्मी पूजा- October 31
बड़ी दिवाली पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का मुख्य दिन है और इसे लक्ष्मी पूजा के रूप में भी जाना जाता है। यह हिंदू महीने कार्तिक की अमावस्या (अमावस्या की रात) को पड़ता है। इस दिन, लोग स्वास्थ्य, धन और खुशी का आशीर्वाद पाने के लिए धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करते हैं।
दीवाली घरों को तेल के दीयों (दीयों) से सजाकर, रंग-बिरंगी रंगोली बनाकर और पटाखे जलाकर मनाई जाती है। परिवार भव्य दावतों के लिए एक साथ आते हैं, मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और आने वाले वर्ष में समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। यह एक ऐसा त्योहार है जो अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
दिवाली 2024 में कब है? (When is Diwali 2024)
दीवाली हमेशा अमावस्या वाले दिन मनाई जाती है ,दीपावली के त्योहार पर रात्रि में अमावस्या तिथि होनी चाहिए ,जो कि 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी
दिवाली पूजन शुभ मुहूर्त ( Diwali Shubh Muhurat )
दीवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस बार लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर 2024 को शाम 5 बजे से लेकर रात के 10 बजकर 30 मिनट तक है.
गोवर्धन पूजा- November 2
दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा मनाई जाती है. यह गोवर्धन पर्वत को समर्पित है।गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट या पड़वा के नाम से भी जाना जाता है, उस दिन की याद दिलाती है जब भगवान कृष्ण ने बारिश के देवता इंद्र द्वारा भेजी गई भारी बारिश से वृंदावन के ग्रामीणों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। यह त्योहार प्रकृति के महत्व का प्रतीक है और भगवान कृष्ण की शिक्षा पर प्रकाश डालता है कि मनुष्यों को देवताओं से डरने के बजाय प्रकृति और जीवन का पोषण करने वाली चीजों की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन, भक्त प्रकृति की उदारता का प्रतीक, भगवान कृष्ण को विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार करते हैं और चढ़ाते हैं। भोजन को बाद में समुदाय के बीच प्रसाद (धन्य भोजन) के रूप में वितरित किया जाता है। लोग गाय के गोबर का उपयोग करके गोवर्धन हिल की प्रतिकृतियां भी बनाते हैं और इसकी पूजा करते हैं, खासकर भारत के उत्तरी हिस्सों में।
कुछ क्षेत्रों में, बाली प्रतिपदा उसी दिन मनाई जाती है, विशेष रूप से महाराष्ट्र में, राजा बलि पर अपने वामन अवतार में भगवान विष्णु की जीत का प्रतीक है।
भैया दूज
भाई दूज दिवाली उत्सव का आखिरी दिन है। इसे भाऊ बीज या भैया दूज भी कहा जाता है। यह भाइयों और बहनों के बीच विशेष रिश्ते का जश्न मनाता है।
भैया दूज, जिसे भाई दूज, भाऊ बीज या यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है, पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का अंतिम दिन है। यह रक्षा बंधन के समान, भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का जश्न मनाता है, लेकिन विभिन्न रीति-रिवाजों के साथ। इस दिन, बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, सफलता और कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई बदले में प्यार और प्रशंसा के प्रतीक के रूप में उपहार देते हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भैया दूज मृत्यु के देवता यम और उनकी बहन यमुना की मुलाकात की याद दिलाता है, जिन्होंने उन्हें भोजन के लिए अपने घर आमंत्रित किया था। उसके आतिथ्य से प्रसन्न होकर, यम ने उसे आशीर्वाद दिया और घोषणा की कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन से मिलने आएगा और उसका प्यार और प्रसाद स्वीकार करेगा, उसे लंबी उम्र और समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा।
अनुष्ठान के हिस्से के रूप में, बहनें अपने भाइयों की आरती करती हैं, उनके माथे पर तिलक लगाती हैं और उन्हें मिठाई खिलाती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
निष्कर्ष: इस तरह भारत में 2024 की 5 दिनों की दिवाली धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ से मनाई जाएगी।
Pardeep
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